on Delhi titled "lost delhi(खोई हुई दिल्ली) or
Delhi flew with heart (दिल्ली दिल ले गई)" written by me.
दिल्ली तो दिल मेरा ले गई
मुझको तनहा यहाँ कर गई
दिल्ली तो दिल मेरा ले गयी
पहले पिर्या, फिर लौटा तो S.N. गया
लोधी गार्डन से C.P. और फिर लाल किला
हर तरफ़ एक खामोश माहौल था
वह समां तो बड़ा यारों अनमोल था
फिर भी उसका पता न चला
ख़ुद पे मैं ताब न ला सका
अश्क अंकों से बहता हुवा
सीने में दिल धड़कता हुवा
मेरी यादों का गुलशन मुझे
लग रहा था झुलसता हुवा
जिंदगी तू ये क्या कर गई
दिल्ली तो दिल मेरा ले गई
मेरे बस में नहीं था मेरा तन-व्-मन
फिर भी छोड़ा नहीं मैं, मुग़ल गार्डन
D.U. हमदर्द और जामिया मिल्लिया
मदरसा, लोटस टेम्पल भी चेक कर लिया
अब कहाँ जाऊं मौला मेरे
टूटे ये प्यार के सिलसिले
कोई उम्मीद अब न रही
सारी बातें हुईं अनकही
मुश्किलों में मेरी रखती थी
दिल के ज़ख्मों पे मरहम वही
अब तो बस इक जगह रह गई
दिल्ली तो दिल मेरा ले गई
ख़ुद पे क़ाबू मुझे जब नहीं रह गया
होके मजबूर फिर जे.एन.यूं। मैं गया
गंगा ढाबे, पे घंटों गुज़ार के
सीधा निकला हूँ मैं P.S.R पे
तब मेरी लोटरी लग गई
राक पे बैठी वह दिख गई
प्यार से मुस्कुराती हुई
इक ग़ज़ल गुनगुनाती रही
मेरी बाँहों से आकर लगी
शर्म से सर झुकाती हुई
मेरी मंजिल मुझे मिल गई
दिल्ली तो दिल मेरा ले गई
wasi bastavi